करू क्या आस निराश भई

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“बजट 2022पर त्वरित टिप्पणी :-


1- चुनावी मौसम के इस बजट में देश के किसानों को बड़े पैकेज की उम्मीद थी, पर बड़ी निराशा मिली । 2022 तक किसानों की आय दोगुनी तू नहीं हुई उल्टा खेती में घाटा दुगुना हो गया।

2-आर्गेनिक खेती पर जोर देने की बात हुई है जो कि कोई नई बात नहीं है पिछले 7 वर्षों से यह सरकार जैविक खेती पर जोर देने की बात करती है पर ,बजट में सारा तो अनुदान रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियों को दे देती जैसा कि इस वर्ष भी 68 हजार करोड़ रुपया का अनुदान यूरिया की कंपनियों को दिया जा रहा हैऑर्गेनिक खेती को “जीरो-बजट” खेती का झुनझुना दे दिया जा रहा है। भाई जब नाम ही “जीरो बजट” है तो भला इसके लिए बजट में पैसे देने की क्या आवश्यकता?

3- किसान सम्मान निधि की राशि 6000 से बढ़ाकर 16 से 20 हजार प्रति साल की मांग किसान संगठनों की जा रही थी। डीजल खाद तथा दवाइयों की महंगाई को देखते हुए, ऐसी चर्चा थी कि कम से कम ₹12 हजार सालाना तो दिया ही जाएगा । पर इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई।

4- किसान सम्मान निधि के किसानों की पात्रता में सभी वर्गों के किसानों को शामिल कर दायरा बढ़ा कर इस योजना से वर्तमान में वंचित रहे लगभग 5 करोड किसानों को शामिल करने की घोषणा की उम्मीद थी , पर बजट में उसका कोई जिक्र ही नहीं हुआ।

5- सरकार की वादाखिलाफी से नाराज देश के किसानों को एमएसपी पर बड़ी घोषणा का इंतजार था पर इस पर भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।

6- प्रधानमंत्री बीमा योजना तथा किसान पेंशन योजना की गंभीर खामियों को दूर कर उसे अधिक कृषकोन्मुखी बनाते हुए दायरा बढ़ाने की उम्मीद थी। पर इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया।


7- औषधीय पौधों की खेती के किसानों के लिए विशेष योजना की घोषणा की उम्मीद थी पर इस पर भी कुछ नहीं किया गया।
कुल मिलाकर इस बजट के जरिए नाराज किसानों को साधने का एक बहुत बड़ा मौका इस सरकार ने गंवा दिया।

डॉ राजाराम त्रिपाठी
राष्ट्रीय संयोजक
अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा)

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